हाइड्रोसील क्या है और इसके रामबाण घरेलू उपचार ( hydrocele in Hindi)
अगर हम बात करें हाइड्रोसील की तो allopathy में इसका बिना ऑपरेशन की कोई भी इलाज नहीं है परंतु आयुर्वेद में इसको बिना ऑपरेशन के भी ठीक किया जा सकता है। यह बीमारी छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों तक भी हो जाती है।
हाइड्रोसील क्या है (what is hydrocele)-
हाइड्रोसील में अंडकोश में पानी उतर जाता है कभी-कभी चोट लगने के कारण भी अंडकोशों में सूजन हो जाती है।अंडकोष में पानी उतरने पर अंडकोष पारदर्शी हो जाता है यानी प्रकाश का अभ्यास दूसरी और भी होता है इसमें दर्द भी रहता है।
हाइड्रोसील कितने प्रकार की होती है (Types of hydrocele)-
संचारित हाइड्रोसील (communicating hydrocele)
इस प्रकार की हाइड्रोसील तब होती है जब वृषण के आस पास की थैली बंद नहीं की जाती और इसमें द्रव अंदर से बाहर आ जा सकते हैं।
गैर संचारित हाइड्रोसील ( non communicating hydrocele)
इस प्रकार की हाइड्रोसील तब होती है जब थैली बंद रहती है लेकिन आपका शरीर तरल पदार्थों को अवशोषित नहीं कर पाता है तो शेष द्रव अम तौर पर एक साल के भीतर शरीर में अवशोषित हो जाता है ।
हाइड्रोसील के लक्षण क्या है (symptoms of hydrocele)-
जब अंडकोष में चोट लगने या किसी अन्य कारणों से उन में पानी भरने लगता है तथा धीरे-धीरे उस में वृद्धि होने लगती है तो उसे ही हाइड्रोसील कहा जाता है।
हाइड्रोसील के कारण क्या है (reason of hydrocele)-
कुछ मामलों में तो इसके कारण का पता लगा पाना मुश्किल होता है लेकिन कुछ मामलों में इसके कारण देखे जा सकते हैं जैसे अंडकोशों में चोट लग जाना या अंडकोश में किसी प्रकार का संक्रमण हो जाना या जलन होना या अंडकोशों में किसी प्रकार का गड़बड़ी हो जाने के कारण उसमें पानी भरने लग जाता है और धीरे-धीरे हाइड्रोसील होने लगती है।
हाइड्रोसील के लिए घरेलू उपचार ( home treatment of hydrocele)-
पान से हाइड्रोसील इलाज ( treatment of Hydrocele by betel leaf)-
बांग्ला पान के तीन से चार पत्ते ले ले और उसको गर्म करके 4 से 5 दिन तक अंडकोशों बांधे । इसे नियमित प्रयोग में लाएं अगर इस प्रक्रिया को करने से सूजन आ जाए या दर्द होने लगे तो 1 दिन का अंतराल देकर बांधे अंडकोशों का पानी सूख जाता है तथा हाइड्रोसील ठीक हो जाती है।।
तंबाकू के पत्ते से हाइड्रोसील का इलाज ( treatment of hydrocele by tobacco leaves )-
हाइड्रोसील में अरंड के पेड़ का प्रयोग (use of castor tree in hydrocele)-
1-अरंड के पेड़ की जड़ को निकाल ले तथा उसे धो लें और उसे सिरके में पीसकर एक लेप बना लें फिर इस लेप को गर्म करके अंडकोशों पर लगाएं हाइड्रोसील में बहुत फायदा होता है तथा दर्द भी खत्म हो जाता है।
2- अरंडी के पत्तों को धोकर ले ले तथा उस पर शुद्ध सरसों का तेल लगाकर अंडकोशों पर बांधे।कुछ दिन तक ऐसा करने से सूजन एवं दर्द खत्म हो जाता है।
3- 25 मिलीलीटर अरंडी के तेल में संभाग दूध मिलाकर सोते समय पिएं फिर तुरंत एक कप दूध में एक चम्मच सोंठ का चूर्ण मिलाकर हल्का गर्म कर सेवन करें ऐसा 8 से 10 दिनों तक करें बवासीर ठीक हो जाएगी।
हाइड्रोसील में इमली के पत्ते का प्रयोग (use of tamarind leaves in hydrocele)-
इमली के ताजे तथा हरे पत्ते लें और उसे पानी में उबालकर थोड़ा गर्म रहने पर ही उन्हें अंडकोशों पर बांधे।
बेल के पत्ते का प्रयोग-
बेल के पत्ते पर देसी घी लगाकर अंडकोशों पर बांधे।3 से 4 दिन में ही सूजन कम होने लगेगी तथा दर्द भी खत्म हो जाएगा।
हाइड्रोसील की पतंजलि दवा ( Patanjali medicine of hydrocele)-
- चंद्रप्रभा वटी
- वृद्धिवाधिका वटी
- पुनर्नवादि मंडूर
इन तीनों की एक एक गोली प्रयोग कर सकते हैं छोटे बच्चों को चंद्रप्रभा वटी की आधी आधी गोली दें।बच्चे इस दवा को दिन भर में 2 बार प्रयोग करें तथा बड़े तीन बार प्रयोग कर सकते हैं।
ऐसा बाबा रामदेव का कहना है कि इस दवा का प्रयोग करने से हाइड्रोसील 100% ठीक हो जाती है।
हाइड्रोसील के लिए योग (yoga in hydrocele)-
हाइड्रोसील में गोमुखासन तथा गरुड़ासन भी अत्यंत लाभ करते हैं।
हाइड्रोसील हुए व्यक्ति को कपालभाती धीरे-धीरे कराया जा सकता है।
हाइड्रोसील हुए व्यक्ति को कपालभाती धीरे-धीरे कराया जा सकता है।
हाइड्रोसील में सावधानियां एवं बचाव (precautions in hydrocele)-
- हाइड्रोसील होने पर खड़े होकर पानी ना पिए।
- अंडकोशों पर चोट ना लगने दें।
- हाइड्रोसील होने पर बैगन का प्रयोग बिल्कुल न करें।
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